स्वामी विवेकानंद का प्रेरक प्रसंग: आत्मविश्वास का महत्व

आत्मविश्वास का महत्व
स्वामी विवेकानंद भारतीय समाज के एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को आत्मबल और आत्मविश्वास की शक्ति का पाठ पढ़ाया। उनका जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है, और उनकी कहानियों में से एक प्रसंग हमें सिखाता है कि आत्मविश्वास के बल पर हम असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

घटना का वर्णन

एक बार स्वामी विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के साथ गंगा नदी के किनारे बैठे थे। वहीं पर कुछ युवा तीरंदाजी का अभ्यास कर रहे थे। वे बार-बार प्रयास कर रहे थे लेकिन उनका निशाना चूक रहा था। विवेकानंद ने उन्हें ध्यान से देखा और उनके पास गए।

उन्होंने युवाओं से कहा, “क्या मैं भी यह प्रयास कर सकता हूं?” युवाओं ने थोड़ा संकोच किया, क्योंकि उन्हें लगा कि साधु-वेशधारी यह तीरंदाजी कैसे कर पाएंगे। लेकिन स्वामी विवेकानंद ने एकाग्रता और आत्मविश्वास के साथ तीर को धनुष पर चढ़ाया और लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित किया। उनका पहला ही निशाना सही लगा।

इसके बाद उन्होंने लगातार तीन तीर चलाए, और तीनों तीर लक्ष्य पर सटीक लगे। यह देखकर सभी युवा आश्चर्यचकित रह गए।

सबक

स्वामी विवेकानंद ने मुस्कुराते हुए कहा, “सफलता का रहस्य एकाग्रता और आत्मविश्वास है। जब आप पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ किसी काम को करते हैं, तो आप उसे अवश्य पूरा कर सकते हैं।”

आज के युवाओं के लिए संदेश

यह प्रसंग हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, हमें अपने ऊपर विश्वास बनाए रखना चाहिए। आत्मविश्वास और एकाग्रता से हम अपने जीवन के किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

स्वामी विवेकानंद के ये शब्द हमें हमेशा याद रखने चाहिए:

> “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”



यह प्रेरक प्रसंग न केवल युवाओं के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है, जो अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। आत्मविश्वास की शक्ति हमें हर बाधा से लड़ने की ताकत देती है।

निष्कर्ष
स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें अपने जीवन में आत्मविश्वास और एकाग्रता का अभ्यास करना चाहिए। यह गुण हमें हर क्षेत्र में सफल बना सकता है और हमारी जिंदगी को नई दिशा दे सकता है।

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