प्रेरक प्रसंग: “समय का मूल्य”

प्रेरक प्रसंग: “समय का मूल्य”

एक बार एक गांव में एक होशियार और मेहनती छात्र था जिसका नाम मोहन था। वह पढ़ाई में तेज था लेकिन खेलकूद और अन्य गतिविधियों को समय की बर्बादी मानता था। उसकी सोच थी कि केवल पढ़ाई ही उसे सफलता दिला सकती है। एक दिन उसके शिक्षक ने उससे कहा, “मोहन, पढ़ाई महत्वपूर्ण है, लेकिन समय का सही उपयोग और संतुलन बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।”

शिक्षक ने उसे एक छोटी सी परीक्षा देने का सुझाव दिया। उन्होंने मोहन को एक खाली घड़ा दिया और कहा, “इसे बड़े पत्थरों से भर दो।” मोहन ने जल्दी से बड़े-बड़े पत्थर घड़े में डाल दिए और बोला, “अब यह भर गया है।” शिक्षक ने मुस्कुराते हुए छोटे-छोटे कंकड़ दिए और कहा, “अब इन्हें डालो।” मोहन ने देखा कि कंकड़ पत्थरों के बीच जगह में समा गए। इसके बाद शिक्षक ने उसे बालू दी और कहा, “अब इसे भी डालो।” बालू भी कंकड़ों के बीच समा गई। अंत में शिक्षक ने पानी डालने को कहा, जो बालू और कंकड़ों के बीच जगह में समा गया। प्रेरक प्रसंग विद्यार्थियों के लिए

शिक्षक ने मोहन से पूछा, “तुमने क्या सीखा?” मोहन ने समझा कि अगर हम बड़े पत्थर (महत्वपूर्ण काम) पहले घड़े में डालें, तो बाकी चीजों (खेल, आराम) के लिए भी समय निकाल सकते हैं। लेकिन अगर हम फालतू चीजों को पहले भरने लगें, तो ज़रूरी चीज़ों के लिए समय नहीं बचेगा।

सीख: इस कहानी से छात्रों को यह सिखने को मिलता है कि पढ़ाई के साथ-साथ समय का संतुलन और सही उपयोग सफलता की कुंजी है।

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